कार्य करते हुए फोटो वीडियो बना कराई जा रही है अपनी पहचान, गांधी स्मारक को भूल गया शासन प्रशासन, गांधी स्मारक पर नहीं दिखा राष्ट्रीय ध्वज

सूर्योदय भास्कर संवाददाता/आगरा। 2 अक्टूबर महात्मा गांधी जयंती के उपलक्ष्य में सभी सरकारी गैर सरकारी विभागों ने एक घंटे का स्वच्छ भारत अभियान चलाया तो वहीं दुसरी तरफ जिस स्थान पर अपने ढाई सौ साथियों के साथ महात्मा गांधी 11 दिन रूके थे उस स्थान को ही शासन, प्रशासन एवं राजनीतिक दल भूल गए जी हां हम बात कर रहे है आगरा के एत्माद्दौला यमुना ब्रिज यमुना नदी के किनारे मौजूद गांधी स्मारक की। जहां पर राष्ट्र पिता महात्मा गांधी 21 सितंबर 1929 को अपने ढाई सौ साथियों के साथ इस स्थान पर 11 दिन बिताए थे इस हवेली में बने दो चबूतरों पर बैठकर गांधी जी ने वैष्णव जन तो तेने कहिए…गीत गाया था।

लेकिन 2 अक्टूबर के दिन प्रशासन ही इस स्थान को भूल गया। आगरा में राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के प्रति शासन एवं प्रशासन तथा स्थानीय नेता एवं क्षेत्रीय पार्षद की अनदेखी और उदासीनता का डंस सहता गांधी स्मारक अपने विकास की उम्मीद में टकटकी लगाए हुआ है। जी हां एतमाद दौला ट्रांस यमुना क्षेत्र स्थित गांधी स्मारक जो श्रीगणेश जी लाल एण्ड संस की संपत्ति थी और सन 1955 में जिसे नगर निगम को दान दे दिया गया था तथा सन 1929 में 11 दिन अपने ढाई सौ साथियों के साथ यहां बापू आकर रुके थे इसके बाद इसको गांधी स्मारक घोषित किया गया। आज गांधी जयंती पर हमने यहां आकर यहां की देखभाल करने वाले जगदीश यादव से यहां की व्यवस्थाओं को देखकर बात की पहले तो वह इधर-उधर कतराते रहे अंत में उन्होंने दुखी होते हुए स्थानीय प्रशासन और वर्तमान सरकार पर आरोप लगाते हुए सारी व्यवस्थाएं बताई और बापू की मूर्ति जिसकी टांग टूटी हुई थी छाती में छेद था शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था और उनके शरीर व चरखे का रंग जगह से खराब था एक स्टैंन्डी जिस पर बापू का चित्र था वह भी ऊपर से फटा था तथा देश का तिरंगा भी गायब था जगदीश यादव जो इस गांधी स्मारक की देखरेख करते हैं उनका कहना है कि अब 2024 में ही सफाई होगी। यही व्यवस्था निरंतर चली जा रही है उनके अनुसार स्थानीय शासन व प्रशासन को कई बार पत्र द्वारा अवगत कराया गया है लेकिन किसी की बाबू के प्रति कोई अपनी श्रद्धा नहीं है केवल सरकार देश की जनता को दिखाने भर के लिए बापू का गुणगान करती रही है।

अब आगरा की जनता को देखना होगा कि केवल टीवी पर गुड़गांन करना ही पर्याप्त है या बापू के प्रति सच्ची श्रद्धा रखकर उनकी धरोहर को संजोकर रखने की आवश्यकता है। जिस राष्ट्र पिता ने देश की आजादी में अपना सर्वस्व जीवन न्योछावर कर दिया और जिसे देश में राष्ट्रपिता की उपाधि से नवाजा गया और जिसका चित्र देश की मुद्रा पर अंकित किया गया। उस महान विभूति का यह घोर अपमान नगर निगम आगरा द्वारा वर्षों से दान में प्राप्त भूमि का बापू के प्रति श्रद्धा भाव न रखने का प्रतीक है साथ ही प्रदेश व केंद्र सरकार भी इस अपमान में बराबर के सहयोगी हैं।

यह शब्द इसलिए प्रयोग करने के लिए विवश हुए हैं कि 2 अक्टूबर के दिन जब संपूर्ण भारतवर्ष में गांधी जयंती हर्ष एवं उल्लास से राष्ट्रीय पर्व के रूप में मना रहे हैं वहीं दूसरी तरफ आगरा के गांधी स्मारक की दुर्दशा आगरा नगर निगम व स्थानीय प्रशासन व नेतागणो की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाती है जिस व्यक्ति को भारत के राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई उस के स्मारक का रखरखाव करना तो दूर उस पर देश का तिरंगा भी लगाना नगर निगम व स्थानीय प्रशासन में उचित नहीं समझा।

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