रिपोर्ट में दावा- 10 अक्टूबर की डेडलाइन दी; अभी कनाडा के 62 डिप्लोमैट्स मौजूद |
सूर्योदय भास्कर। भारत ने कनाडा से उनके 41 डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने को कहा है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या पर जारी तनाव के बीच ये फैसला लिया गया है। इन डिप्लोमैट्स को भारत छोड़ने के लिए 10 अक्टूबर की डेडलाइन दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, डेडलाइन के बाद इन 41 में से जो डिप्लोमैट भारत में रह जाएंगे, उनको मिलने वाली छूट और दूसरे फायदे (डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी) बंद कर दिए जाएंगे। कनाडा के भारत में करीब 62 डिप्लोमैट्स काम करते हैं। 10 अक्टूबर के बाद देश में केवल 21 कनाडाई डिप्लोमैट्स ही बचेंगे।
विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों के डिप्लोमैट्स बराबर करने को कहा था
इससे पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था कि हमने कनाडा से साफ कह दिया है कि डिप्लोमैट्स की संख्या दोनों देशों में बराबर होनी चाहिए। ये वियना कन्वेंशन के तहत जरूरी है। कनाडा के PM टूड्रो ने 18 सितंबर को भारत सरकार पर खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था।
इसके बाद उन्होंने भारत के एक डिप्लोमैट को भी निकाल दिया था। कनाडा के इस एक्शन का जवाब देते हुए भारत ने भी उनके एक डिप्लोमैट को देश छोड़ने के लिए कहा था। इसके बाद भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं भी बंद कर दी थीं।
जयशंकर ने कहा था- राजनीति के लिए आतंकवाद को बढ़ाना गलत
26 सितंबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूएन में स्पीच दी थी। इस दौरान उन्होंने कनाडा का नाम लिए बिना कहा था कि राजनीति के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देना गलत है। हम ये मानते हैं कि संप्रभुता का सम्मान जरूरी है, पर ये सम्मान चुनिंदा नहीं होना चाहिए। आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन राजनीतिक सहूलियत के हिसाब से नहीं लेना चाहिए।
इसके बाद जयशंकर ने डिस्कशन एट काउंसिल फॉर फॉरेन रिलेशन्स में भी कनाडा से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए थे। जयशंकर ने कहा था कि कनाडा में अलगाववादी ताकतें, हिंसा और उग्रवाद से जुड़े अपराध पनप रहे हैं।
जयशंकर ने कहा था- कनाडा में हमारे डिप्लोमैट्स को डराया-धमकाया जाता है, हमारे कॉन्सुलेट पर हमले होते हैं। इन सबको ये कहकर सही ठहरा दिया जाता है कि लोकतंत्र में यही होता है। अगर कोई ऐसी घटना है जो एक परेशानी का मुद्दा है और कोई मुझे एक सरकार के रूप में कुछ जानकारी देता है, तो मैं उस पर जरूर गौर करूंगा।
जयशंकर बोले- भारत को अभिव्यक्ति की आजादी पर किसी की सीख नहीं चाहिए
30 सितंबर को अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मिलने के एक दिन बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वॉशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था- भारत को अभिव्यक्ति की आजादी पर किसी और से सीखने की जरूरत नहीं है। अभिव्यक्ति की आजादी को इस हद तक बढ़ावा नहीं दिया जा सकता कि वो हिंसा भड़काने के लिए इस्तेमाल होने लगे। ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जयशंकर ने कहा- हमारे मिशन्स पर स्मोक बॉम्ब फेंके जाते हैं। डिप्लोमैट्स को धमकाया जाता है और उनके खिलाफ जगह-जगह पोस्टर लगाए जाते हैं। क्या ये आम बात है? अभी ये भारत के खिलाफ हुआ है, अगर ये किसी और देश के खिलाफ किया गया होता, तब भी क्या इस मामले को इतना ही सामान्य समझा जाता? कनाडा में जो कुछ भी हुआ वो कोई छोटी या आम बात नहीं है।