सूर्योदय भास्कर, एजेंसी। अग्निवीर योजना की घोषणा केंद्र सरकार ने 14 जून, 2022 को की थी, जिसके बाद जनवरी, 2023 में प्रशिक्षण प्रारंभ होने के बाद शीघ्र ही 19,000 अग्निवीरों का पहला समूह राष्ट्र की सेवा के लिए अपनी-अपनी यूनिटों में जाने के लिए तैयार है। एक ओर जहां देश हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है, वहीं अग्निवीर योजना द्वारा प्रयास किया गया है कि सेनाओं को भी ज्यादा से ज्यादा नई तकनीक में प्रशिक्षित युवा मिलें। इसलिए इस योजना में तकनीकी क्षेत्रों, जैसे- आईटीआई व अन्य प्रशिक्षण केंद्रों में शिक्षा प्राप्त युवाओं को प्राथमिकता दी जाती है, ताकि सेना की कार्यप्रणाली में नई तकनीक को सुचारु और व्यवस्थित रूप से प्रयोग में लाया जा सके, जिससे सेना को और ज्यादा सक्षम बनाया जा सके, और यही समय की मांग भी है।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में सेना के अनुशासन, कार्य के प्रति समर्पण और वफादारी की भावना को इस योजना से निवृत्त हुए सैनिकों द्वारा पहुंचाना है। इसमें अग्निवीर सैनिक को चार साल तक एक निश्चित वेतन दिया जाता है तथा सेवा के दौरान यदि अग्निवीर को वीरगति प्राप्त हो, तो उसके आश्रितों को एक सैनिक की तरह जीवन भर पेंशन मिलने का प्रावधान है। सेना से सेवानिवृत हुए अग्निवीरों को 10.4 लाख रुपये की धनराशि एकमुश्त दी जाएगी, जो आयकर से मुक्त होगी। साथ ही, उन्हें गृह, रेलवे, नागर विमानन मंत्रालय की नौकरियों में 10 फीसदी तक आरक्षण प्रदान किया जाएगा। रक्षा क्षेत्र में कार्य करने वाली निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में भी पर्याप्त आरक्षण उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके अलावा युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए सरकार आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराएगी। इस तरह अग्निवीर सेवा द्वारा युवा देश की प्रगति को आगे बढ़ाते नजर आएंगे। योजना की इन विशेषताओं के बावजूद देश-विदेश में फैले आलोचक इसे भारत सरकार की कमियों की तरह देख रहे हैं।

गौरतलब है कि पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका में सामाजिक व अन्य क्षेत्रों की अनुशासित कार्यप्रणाली से पूरा विश्व प्रभावित है। ऐसा माना जाता है कि अमेरिका का हर नागरिक सादे कपड़ों में भी एक सिपाही है और उसमें राष्ट्रीयता की भावना कूट-कूटकर भरी है। परंतु एशिया और अफ्रीका आदि महाद्वीपीय देशों में इस प्रकार की भावना एक आम नागरिक में नजर नहीं आती। इसका मुख्य कारण है कि ये देश लंबे समय तक गुलाम रहे और उसके बाद भी उनके समाजों में मानवीय विकास पर उतनी तवज्जो नहीं दी गई, जितनी कि पश्चिमी देशों में दी गई। स्वच्छ प्रशासन के साथ इन देशों में मानव विकास के लिए अनिवार्य सैनिक सेवा लंबे समय तक चलती रही।

अमेरिका में जनवरी, 1973 तक हर नागरिक के लिए सैनिक सेवा अनिवार्य थी। इसके बाद 1980 में वहां के राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने 18 से 26 वर्ष तक की आयु के हर नागरिक के लिए सैनिक सेवा जरूरी कर दी थी और 35 वर्ष की उम्र तक उन्हें सैनिक सेवा के लिए जरूरत पड़ने पर बुलाया जा सकता था। इंग्लैंड में भी हर नागरिक के लिए 1963 तक सैनिक सेवा कुछ समय के लिए अनिवार्य थी और इसी का परिणाम था कि एक समय विश्व में ज्यादातर देशों में इंग्लैंड का शासन फैला हुआ था। इस सबको देखते हुए भारत की व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लाने के लिए यहां भी लंबे समय से अनिवार्य सैनिक प्रशिक्षण की मांग की जा रही थी, जिसे सरकार ने अग्निवीर योजना के जरिये पूरा करने की कोशिश की है।

इस योजना द्वारा देश के युवा अग्निवीर सैन्य सेवा से निवृत्त होकर हर क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रदान करके वहां पर अनुशासन और क्रमवार कार्य करने की पद्धति लागू करेंगे। सेवानिवृत्त अग्निवीरों की कार्यप्रणाली से प्रेरणा लेकर उनके साथी व अन्य कर्मचारी भी खुद को उनके जैसा बनाने का प्रयास करेंगे। इस प्रकार ये युवा देश के हर क्षेत्र में और हर स्तर पर सैन्य सेवा के अनुशासन और कार्यप्रणाली द्वारा देश की सुव्यवस्था में अपना योगदान दे सकेंगे।

एक प्रकार से यह भी राष्ट्र निर्माण ही है, क्योंकि जब देश का कार्यबल अनुशासित और व्यवस्थित होगा, तो स्वतः ही राष्ट्र मजबूत और शक्तिशाली बनेगा। यह भारतीय सेना की मजबूती ही है, जिसके कारण आज भारत एक सैन्य महाशक्ति बन गया है और दुश्मन देश- चीन और पाकिस्तान- भारत की ओर नजर उठाकर भी नहीं देख पाते। 

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