अमिताभ ठाकुर 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी। इनको सरकार ने कम्पलसरी रिटायरमेंट दिया। इनको बाद में जेल भी जाना पड़ा। आज की तारीख में ये आजाद अधिकार सेना के नाम से एक राजनीतिक संगठन चला रहे हैं। अब इसको क्या कहा जाए कि अमिताभ ठाकुर का विवादों से पुराना नाता रहा है। कीमत, कोई भी चुकानी पड़ी हो पर अमिताभ ठाकुर ने अपनी राह नहीं छोड़ी और न ही अपने विचारों, अपने सिद्धांतों से कभी कोई समझौता किया। इनकी खुशनसीबी है जैसा कि श्री ठाकुर खुले मन से स्वीकार करते हैं कि उनको हर कदम पर उनकी पत्नी डा. नूतन ठाकुर का सहयोग, साथ मिलता रहा।
ये वही अमिताभ ठाकुर हैं जो सपा शासन काल में ही मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा लिखाने हजरतगंज कोतवाली पहुंचे थे। इसके बाद इनको धमकाते हुए मुलायम सिंह यादव का वीडिओ भी वायरल हुआ था। इस सबके बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बयान आया था जो मुझे आज तक नहीं भूला है। बतौर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि अरे कोई खास बात नहीं है। नेता जी हैं, समझा दिए होंगे। एक पुलिस अधिकारी को धमकाने को मुख्यमंत्री ने कहा था, समझा दिए होंगे। लखनऊ में न्यायालय में हुई हत्या को राज्यपोषित बता सीबीआई की जांच की मांग हो या फिर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में विकास कार्यों की हकीकत जानने की बात हो। इन दिनों अमिताभ ठाकुर एक बार फिर चर्चा में हैं।

यूथ इण्डिया के प्रधान सम्पादक शरद कटियार से अमिताभ ठाकुर ने बेबाक चर्चा की। इस मौके पर लखनऊ संस्करण के स्थानीय सम्पादक पंकज सचान भी मौजूद रहे।

यूथ इण्डिया- मौजूदा समय में यह कहा जा रहा कि पुलिस पूरी तरह से सरकार के हिसाब से काम कर रही है। आप खुद पुलिस अधिकारी रहे हैं। क्या कहते हैं आप?
अमिताभ ठाकुर- यह कोई नयी बात नही है। 1993 में जब मैं पुलिस की सेवा में आया था तब भी कमोबेस ऐसा ही था। उस समय भी सत्ता के साथ ताल-मेल बिठाकर चलते थे पुलिस अधिकारी। ऐसा कर वो अपने आपको कम्फर्ट जोन में पाते थे।
यूथ इण्डिया- आज की पुलिसिंग में क्या फर्क देख रहे हैं?
अमिताभ ठाकुर- देखिये उस समय की जो पुलिसिंग थी, उसमें लोक-लाज का लिहाज रहता था। ये भी भाव रहता था कि पब्लिक देख रही है। न्याय दिलाने का प्रयास होता था। आईपीएस की गरिमा को समझा जाता था और उसी के हिसाब से आचरण किया जाता था। आज तो अभूतपूर्व हालात हैं। पांच कालीदास मार्ग और लोक भवन का पंचम तल। सारे आदेश यहीं से जारी होते हैं। जो आदेश यहां से जारी हुआ वही अंतिम सत्य है, वही वेद वाक्य है।
यूथ इण्डिया- हाल के दिनों में जो हत्याएं हुई हैं उसको लेकर पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ रही है।
अमिताभ ठाकुर- बिलकुल आ रही है। आप थोड़ा पीछे जा कर याद करें। कानपुर देहात के अपराधी विकास दुबे की गाड़ी पलट जाती है और पुलिस के साथ मुठभेड़ में वो मारा जाता है। जनता आज भी इस घटना को स्वाभाविक नहीं मानती है। इस घटना के बाद तो गाड़ी पलटना एक मुहावरा बन कर रह गया।
यूथ इण्डिया- पुलिस अभिरक्षा में हत्याओं के दो मामले सामने आ चुके हैं। किस तरीके से देखते हैं आप?
अमिताभ ठाकुर- पराकाष्ठा है यह। गौर करने वाली बात यह है कि ये जो भी हत्याएं हुई हैं इनमें मारे जाने वाले अपराधी विपक्षी दलों से जुड़े थे।
यूथ इण्डिया- इन मामलों में न्यायपालिका का कोई रोल सामने नहीं आया।
अमिताभ ठाकुर- देखिये, जितना मैं समझता हूं कहीं न कहीं से न्यायिक सक्रियता की कमी तो लग रही है। यह सवाल तमाम लोगों के मन में उठ रहा है। दूसरी और सत्ता के साथ खड़े पुलिस वालों के मन में भी न्यायपालिका का भय कम हुआ है। उनके मन में यह बात घर कर चुकी है कि चलो बच तो जायेंगे ही। यही न्यायपालिका थी जिसके चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गद्दी तक छोड़नी पड़ी थी।
यूथ इण्डिया- तो फिर ऐसे में आम लोग किस मानसिकता में जी रहे हैं?
अमिताभ ठाकुर- हताशा की भावना के साथ जी रहे हैं आम लोग। जायें तो जायें कहां की भावना के साथ जी रहे हैं आम लोग। लोगों ने शनै-शनै इसको स्वीकार करना शुरू कर दिया है। इसको अपनी नियत मान लिया है।
यूथ इण्डिया- आपके रवैये पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं, आखिर आप ऐसा क्यों करते रहते हैं?
अमिताभ ठाकुर- देखिये मेरा मानना है कि यदि आपको स्थापित मान्यताओं के विरुद्ध खड़ा होना है तो आपको किसी हद तक विद्रोह करना ही होगा। समाज में बेहतरी की गुंजाइस हमेशा रहती है। मैं भी तो यही कर रहा हूं। चीजों को बेहतरी की दिशा में ले जाना का प्रयास कर रहा हूं। एक बात और जहर तो सुकरात को भी पीना पड़ा था।
यूथ इण्डिया- आपके साथ के बैच के लोगों का क्या नजरिया रहता है आपके लिए?
अमिताभ ठाकुर- उनको लगता है कि मैं पागल हो गया हूं। मेरे किसी भी बैचमेट ने मुझसे कभी कोई सम्पर्क नहीं किया। हो सकता है कि उनको इस बात का डर हो कि कहीं मेरा फोन न टेप हो रहा हो। हां, यह बात और है कि जब मैं जेल गया था तब उत्तर प्रदेश के बाहर जो मेरे बैच के साथी हैं उनका फोन मेरी पत्नी के पास जरूर आया था।
यूथ इण्डिया- आपके परिवार की बात की जाए तो।
अमिताभ ठाकुर- यह मेरी खुशनसीबी है कि मुझे हर मोड़ हर कदम पत्नी डा. नूतन ठाकुर का पूरा सहयोग मिला। मुझे डा. नूतन ठाकुर से पूरा सम्बल मिला। मेरे दो बच्चे हैं उनका भी पूरा समर्थन रहा है हमेशा मेरे साथ।
यूथ इण्डिया- आप बनारस जाकर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यों की हकीकत जानने की बात कर रहे हैं। क्यों?
अमिताभ ठाकुर- पहले तो यह जान लीजिये कि मैं किसी गलत उद्देश्य से बनारस नहीं जा रहा हूं। जैसा कि सरकार की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि डबल इंजन की सरकार में यह विकास हुआ है। वह विकास हुआ है, मैं तो उसी विकास को लोगों को सामने लाना चाहता हूं। भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री को पूरे देश में विकास पुरुष के नाम से स्थापित कर रही है तो कम से कम मोदी जी के संसदीय क्षेत्र का विकास तो लोगों को मालुम होना ही चाहिए। इसी वजह से आजाद अधिकार सेना बनारस जा रही है।

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