कैसे होगी भाजपा के लिए 2024 की राह आसान
दलित चौकी इंचार्ज को जिंदा फूंकने की दी धमकी, पूर्व में दलित तहतीलदार के घर घुस कर चुके हैं मारपीट

कन्नौज(शरद कटियार): उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में कानून का राज स्थापित करने की प्रतिज्ञा लिये हुए हैं। किसी हद तक अपने इस मिशन में वे कामयाब भी हुए हैं। यही वजह है कि यूपी का कानून मॉडल पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। कई राज्य ऐसे भी हैं जो यूपी के कानून मॉडल को अपने राज्य की परिस्थितियों के हिसाब से अंगीकृत करने में लगे हुए हैं।

इन सबसे इतर अभी हाल में कन्नौज में जिस तरीके से कानून की धज्जियां उड़ाई गई वह चर्चा का विषय बना हुआ है। कानून की धज्जियां उड़ाने वाला कोई पेशेवर अपराधी नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी का कन्नौज से सांसद सुब्रत पाठक ही हैं। भाजयूमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का पद सुशोभित कर चुके और मौजूदा समय में दिल्ली की संसद में कन्नौज के साथ ही उत्तर प्रदेश का नाम रोशन कर रहे सांसद सुब्रत पाठक ने खुले आम पुलिसकर्मियों को अपमानित करने के साथ ही जिंदा फूंक देने की धमकी भी दे डाली। सबसे बड़ी बात यह है कि सांसद की लोकतंत्र को धूल-धूसरित करने वाली हरकत और उस पुलिस को जिंदा फूंक देने की धमकी सरकारी दस्तावेजों में दर्ज होकर खुद दस्तावेज बन चुकी है।

घायल पुलिसकर्मीं
ऐसे कैसे होगी योगी आदित्यनाथ की राह आसान
कन्नौजयह वह लोकसभा है जो समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। यहां से समाजवादी पार्टी के मौजूदा मुखिया अखिलेश यादव संसद की राह पकड़ चुके हैं। यही नहीं, इसी लोकसभा से उनकी धर्मपत्नी डिम्पल यादव भी सांसद रही हैं। यह बात अलग है कि मोदी और योगी की लहर में सुब्रत पाठक संसद पहुंचने में सफल हो गये। जानकार यह भी बताते हैं कि भाजपा के आंतरिक सर्वे में यह ठीक रेड जोन पर है। आज जब केंद्र और प्रदेश समेत पूरा भाजपा नेतृत्व पूरी ताकत से लोकसभा चुनाव में लगा है। ऐसे समय में भाजपा सांसद सुब्रत पाठक का यह कारनामा पार्टी के लिए कितना हितकर और कितना अहितकर है, यह भाजपा नेतृत्व को तय करना होगा। एक ओर प्रधानमंत्री सबका साथ और सबका विकास की बात करते हैं तो दूसरी ओर भाजपा सांसद सुब्रत पाठक पिछड़ों और दलितों को आज भी जब देश विकास की राह पर है इनको अछूत मानकर ही चलते हैं। पिछड़े वर्ग को वे अपना वोट बैंक मानते ही नहीं है। अब सवाल यह है कि जहां भाजपा के लिए एक-एक लोकसभा सीट बहुत मायने रखती है ऐसे में कन्नौज लोकसभा सीट का क्या होगा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव यहां से खुद लोकसभा चुनाव लड़ने का इशारा कर चुके हैं। उनका इशारा पाते ही पूरी की पूरी स्थानीय सपा की टीम यहां पर सक्रिय है। दूसरी ओर सांसद सुब्रत पाठक के यह कारनामे हैं।

यह वही पुलिस है जिसके कंधों पर आम आदमी और समाज की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। यहां यह भी याद रखना होगा कि दिल्ली की संसद में जो लोग बैठते हैं और जिनको सांसद कहा जाता है उनकी पहली जिम्मेदारी यही होती है कि वो खुद कानून के दायरे में रहकर आम लोगों को कानून का पालन करने की सीख देंगे। अब इसका क्या करें कि कन्नौज के भाजपा सांसद सुब्रत पाठक खुद अपने आप को कानून और संसद से ऊपर मानते हैं। ऐसा नहीं है कि सांसद ने इस तरीके का आचरण पहली बार किया हो। इससे पहले सांसद सुब्रत पाठक का दलित तहसीलदार को घर में घुसकर पीटने का मामला बमुश्किल शांत हो पाया था। इससे कानून का पालन करने की कोई सीख न लेते हुए दिन रात आम जनमानस की सुरक्षा के लिए जूझने वाली खाकी को पीट कर एक नये अध्याय का शुभारंभ कर दिया। देखने की बात तो यह है कि अब इस मामले में सांसद सुब्रत पाठक के खिलाफ किस हद तक प्रभावी कार्यवाही प्रदेश का निजाम कर पाता है। पूरे प्रदेश की जनता और बुद्धिजीवियों की निगाहें इसी बात पर टिकी हैं।

उल्लेखनीय है कि कन्नौज के पुलिस अधीक्षक कुंवर अनुपम सिंह के निर्देशन में मंडी चौकी इंचार्ज व उनके हमराहों ने अपहरण के एक मामले में पांच लोगों को हिरासत में लिया था। इनको हिरासत में लेकर पुलिस दल इनको मंडी समिति पुलिस चौकी ले आया, भाजपा नेताओं का सम्मान करना कहें या उनके दबदबे में पुलिस ने एक युवक का छोड़ भी दिया। इसके बाद उन्नाव से आया हुआ पुलिस बल जब इन आरोपियों को लेकर जाने लगा तो स्थानीय भाजपाइयों ने उनके साथ अभद्र व्यवहार शुरू कर दिया। इसी बीच एक भाजपा कार्यकर्ता ने अपने आका भाजपा सांसद सुब्रत पाठक को मोबाइल पर फोन कर कहा कि पुलिस ने हमारे लोगों को गलत तरीके से पकड़ रखा है आप मौके पर आइये नहीं तो चौकी फूंक देंगे। सांसद के वरदहस्त के चलते कानून भूल चुके उसी कार्यकर्ता ने मोबाइल को स्पीकर पर लेकर पुलिस के सामने रख दिया। मोबाइल पर ही भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने कहा पंद्रह मिनट के अंदर दबिश टीम को वापस बुला लो नहीं तो तुझे आग लगा दूंगा। ठीक पंद्रह मिनट बाद सांसद अपने सुरक्षा कर्मी के साथ मौके पर पहुंचते हैं और चौकी इंचार्ज का कॉलर पकड़ लेते हैं। सांसद का यह रूप देखकर उनके समर्थक तत्काल पुलिस कर्मियों से मारपीट शुरू कर देते हैं। घायल पुलिस कर्मियों का डॉक्टरी परीक्षण हुआ है। इस मामले में चौकी प्रभारी हाकिम सिंह की तहरीर पर भाजपा सांसद सुब्रत पाठक समेत दस लोगों को नामजद करते हुए 42 अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। इससे बड़ी बात और क्या होगी कि भाजपा के बिगड़ैल सांसद खुद मौके पर पहुंच अपनी ही सरकार की पुलिस को पीटने और पिटवाने पहुंच गये। बेकसूर पुलिसकर्मियों को बेरहमी से पीटा जाना और सांसद की मौजूदगी होना लोकतंत्र के लिए शर्मसार करने भर पर्याप्त है।
इससे पूर्व सांसद सुब्रत पाठक तहसीलदार सदर को उनके घर में घुसकर पीट चुके हैं। हालांकि उस घटना में सांसद ने तहसीलदार से मांफी मांगकर मामला रफा-दफा करा लिया था। जानकार बतातें है कि सुब्रत को पिछड़ों और विशेषकर दलितों से खासी नाराजगी रहती है। वह इन्हें अपना वोट बैंक नही मानते और इन दोनों वर्गों को जब तब बुरा-भला कहते है। अपने गुर्गों की मदद से सांसद कन्नौज की ही एक लड़की की पूरी संपत्ति हड़प करवा चुके है। हांलाकि पूर्व आईपीएस और मौजूदा सरकार में राज्यमंत्री असीम अरुण की दखल के बाद कन्नौज में सांसद की गुण्डई कुछ थमी थी।

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