पिछडों और दलितों के शुरू से खिलाफ रहे कन्नौज सांसद
दलित चौकी इंचार्ज को जिंदा जलाने की दी धमकी
जांबाज खाकी से गुण्डई करने वाले भाजपा सांसद पूर्व में दलित तहसीलदार को घर में घुसकर पीट चुके

कन्नौज(शरद कटियार): भूसुर, यानि आदि काल में धरती के भगवान कहे जाने वाले मठाधीश……. वक्त बदला कुप्रथाएं बदली लेकिन आज भी कुछ भूसुर भाजयूमों के पूर्व अध्यक्ष और प्रदेश कन्नौज के रूप में सांसद सुब्रत पाठक जैसे आज भी धरती पर हैं, जो न सिर्फ अपने समाज को बल्कि अपनी राजनैतिक पार्टी को भी अपने काले कुकृत्यों से कलंकित करने से रुक नही रहे।

दलित तहसीलदार को घर में घुसकर पीटने का मामला बमुश्किल शांत हो पाया था तब तक दिन रात आम जनमानस की सुरक्षा के लिए जूझने वाली खाकी के जांबाजों को पीटकर एक नये अध्याय का आरंभ हो गया। जहां राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था को चाक चौबंद बनाने के लिए अपनी बहादुर पुलिस के हाथ खोले है। वहीं भाजपा के ही जिम्मेदार कानून का पालन कर रही जांबाज खाकी को सुब्रत पाठक जैसे नेताओं के रूप में अपमानित करने में जुटे हैं।

उन्नाव पुलिस के साथ कन्नौज के तेज तर्रार एसपी कुअर अनुपम सिंह के निर्देशन में मंडी चौकी इंचार्ज व उनके बहादुर हमराहों ने अपहरणकर्ताओं को जैसे तैसे जान हथेली पर लगा गिरफ्तार किया तो बिगड़ैल व हठी सांसद सुब्रत व उनके गुर्गों ने न केवल हंगामा किया बल्कि चौकी इंचार्ज हेमंत कुमार को जिंदा जलाने तक की धमकी दे डाली। सांसद खुद चौकी पहुंच वहां मौजूद जांबाजों संग भिड गये। तो मजबूरन पुलिस कर्मियों को इनके ऊपर डंडा उठाना पड़ा। इससे बड़ी हैवानियत की बात और क्या होगी कि भाजपा के बिगड़ैल सांसद खुद मौके पर पहुंच अपनी ही सरकार की पुलिस को पीटने और पिटवाने पहुंच गये।

बेकसूर पुलिस कर्मियों को बेरहमी से पीटा जाना और सांसद की मौजूदगी होना लोकतंत्र के लिए शर्मसार करने भर को पर्याप्त है। एक ओर भाजपा जहां अपने एक सांसद बृजभूषण शरण सिंह के कारण कठघरे में खड़ी थी। पहलवानों के समर्थन में बढ़ती भीड़ ने भाजपा नेतृत्व के सामने चुनौती खड़ी की है। वहीं रामायण के खरदूषण की तरह पार्टी के दूसरे बिगड़ैल सांसद सुब्रत पाठक ने पुलिस कर्मियों पर बर्बतापूर्ण मारपीट की घटना को अंजाम देकर विपक्ष को बैठे-बैठाए एक और गरम मुद्दा हाथों में थमा दिया है। इससे पूर्व सांसद सुब्रत पाठक तहसीलदार सदर को उनके घर में घुसकर पीट चुके है। हालांकि उस घटना में सांसद ने तहसीलदार से मांफी मांगकर मामला रफा-दफा करा लिया था।

जानकार बतातें है कि सुब्रत को पिछड़ों और विशेषकर दलितों से खासी नाराजगी रहती है। वह इन्हें अपना वोटबैंक नही मानते और इन दोनों वर्गों को जब तब बुरा भला कहते है। अपने गुर्गों की मदद से सांसद कन्नौज की ही एक लड़की की पूरी संपत्ति हडप करवा चुके है। हांलाकि पूर्व आईपीएस असीम अरूण की दखल के बाद कन्नौज में सांसद की गुण्डई कुछ थमी है। पुलिस को जिंदा जलाने की धमकी का मुद्दा विपक्ष को तो मिला ही है, आम जनमानस भी सांसद के इस खौफ भरे अंदाज से खौफजदा हैं।

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