योगी के फरमान की जिला अभिहित अधिकारी ने निकाली हवा |
सैय्यद शहनवाज हैदर आवदी से जनमानस परेशान, संचालित रेस्टोरेंट और होटलों से न्योछावर तय के बाद नही होती छापेमारी, स्वास्थ्य संग खिलवाड़ |
यूथ इण्डिया संवाददाता,फर्रुखाबाद। सूबे में हुकूमत भले ही संत से सीएम बने योगी आदित्यनाथ की हो लेकिन यहां खाद्य विभाग में नापाक पाक की संल्तनत है। जिसकी सरपरस्ती जिला अभिहित अधिकारी सैय्यद शहनवाज हुसैन आवदी करते है। उन्हें न हुकूमत का खौफ है और न ही हुक्मरानों की चिंता। मीट की दुकानों के लाइसेंस तो वर्ग विशेष को ऐसे बांटे जैसे रेवडियां। अब उन मानक विहीन दुकानों पर वेजुबानों का मांस खुलेआम बिकता है। उनकी खाल और पंख कुत्तों और कौंओं के काम आते।
आवदी की कार्यशैली यहां सबसे अलग है। जनपद में संचालित हो रहे सैकडों रेस्टोरेंट और होटलों की रसोई तो मनमाने तौर पर संचालित ही है। सबसे बड़ा खेल कस्बों में खुली मिठाईयों की दुकानों पर है जहां अवैध कारोबार सरेबाजार है। कस्बा जहानगंज में लोचन छेना भण्डार की तो मानो उड़कर ही आई आवदी की सरपरस्ती क्या मिली मानों वह देखते ही देखते लाखों के बारे न्यारे करने लगा। यहां अवैध नकली छेना की विक्री चरम पर है। खाद्य विभाग की घोर लापरवाही के चलते यहां थोक में छेना 60 से 70 रूपये और फुटकर में 70 से 80 रूपये बिक रहा है। आवदी की सरपरस्ती के बाद नगर की ब्रांडेड मिठाई की दुकानों के मालिक तो करोडों में खेलनें लगे है।
खाद्य विभाग का भय खत्म होने के बाद मिलावट की मिठाईयां ऊंचे दामों में बिक रही है। दूधियों के तो दिन ही बहुर गये है। वहीं खोया मडियां अब वेखौफ संचालित हो रही है । भारत सरकार द्वारा खाद्य सामिग्री की मिलावट की रोकथाम और उपभोक्ताओं को शुद्ध आहार उपलब्ध कराने के लिए अधिनियम में प्रावधान है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने रखवाली का जिम्मा जब आवदी को सौंपा तो आवदी अपनी आय की आमद बढाने में जुट गये।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि (एफएसडीए) के जिला प्रशासन अभिहित अधिकारी आवदी के संरक्षण में तमाम रेस्टोरेंट जोमैटो जैसी कंपनियों के माध्यम से होम डिलीवरी देकर मानव स्वास्थ्य के संग मनमानी आमादा है और आवदी साहब एसी की ठंडी हवा में अपनी हिसाब की डायरी मेंन्टेन कर पांचों समय की नमाज अदा करते है। इस सम्बंध में जब जिला अभिहित अधिकारी श्री आवदी से पूंछा गया कि जनपद में कितने रेस्टोरेंट संचालित है तो वह बगलें झांकने लगे बोले कि यह गोपनीय दस्तावेज है, इसकी जानकारी नही दी जा सकती। वह पूरा हिसाब अपने आलाधिकारियों को देते है। उनसे पूछा जाये वह खुद बता देंगे।