खड़ी बोली में वर्णित रामकथा को जन-जन तक पहुंचाने का किया कार्य |
यूथ इण्डिया संवाददाता, फर्रुखाबाद। लोहाई स्थित राधा श्याम शक्ति मंदिर में स्व0 गोपीनाथ सफ्फड की स्मृति में आध्यात्मिक अनुष्ठान के दूसरे दिन वरिष्ठ साहित्यकार एवं विद्वान डॉ० शिव ओम अम्बर ने साहित्य के द्विवेदी युग कालीन राधेश्याम रामायण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने रामकाव्य को अवधि में उतारकर अमर कर दिया। वहीं राधेश्यामजी ने अपने रामकाव्य को खड़ी बोली और संवाद शैली में ढालकर गले का हार बना दिया।
डॉ० अम्बर ने कहा कि रामलीला के अभिनय मंच पर श्री राधेश्याम रामायण के संवाद अभिनय में प्राण फूंक देते हैं। जन-जन की भाषा में लिखा गया यह ग्रन्थ जनमानस के हृदय में समाया हुआ है। पंडित राधेश्याम रामायणी ने आदिकाल से आधुनिक काल तक श्रेष्ठतम कृति देकर रामभक्ति धारा को बल प्रदान किया है। कलाकार रंगमंचों पर नाद्य विद्या और संवादशैली में राधेश्याम रामायण में उतारते हैं। राधेश्याम रामायण में स्तुति से लेकर समसामायिक समाज का चित्रण, नारी विमर्श, राष्ट्रभक्ति और सामाजिक प्रेरणा मिलती है।
पंडित राधेश्याम ने अपनी रामायण में जनमानस में कथाओं, कीर्तन, गीत आदि के माध्यम से संवाद शैली में देव स्तुति की तत्कालीन नेपाल नरेश ने राधेश्याम रामायण को विशेष महत्व दिया। वर्तमान समय में गोरखपुर विश्वविद्यालय में एमए हिन्दी की कक्षाओं में शोध छात्रों के लिए इसे पाठ्यक्रम का ग्रन्थ बनाया है। डॉ० अम्बर ने आदिकाल से श्रीराम कथा की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए देवर्षि नारद, व्यास बाल्मीकि, भास्य आदि ऋषियों द्वारा वर्णित रामकथा को भी रेखांकित किया। कार्यक्रम का संचालन ब्रज किशोर सिंह ‘किशोर’ ने किया। मंदिर के कर्ताधर्ता सुरेन्द्र सफ्फड़ ने आए हुए सभी भक्तों को धन्यवाद दिया। प्रवचन के दौरान बड़ी तादाद में भक्तों की मौजूदगी रही। जिन्हें राधेश्याम रामायण की एक प्रति भेंट की गई ।

