सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने नगर विकास मंत्रालय में सौंपा तैयार मसौदा

यूथ इण्डिया संवाददाता, फर्रुखाबाद। नगर निकाय चुनाव में राजनैतिक विसात में मात खाई बैठी भाजपा ने बसपा के गढ़ को भाजपा में समाने के लिए नया मसौदा तैयार किया है। जिसकी अगुवाई करते हुए सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने नगर विकास मंत्रालय में पूरी ताकत झोंकी है। उनके इस कदम का समर्थन भाजपा के सांसद मुकेश राजपूत ने जिलाध्यक्ष रूपेश गुप्ता की पुरजोर पैरवी पर किया है। सबकुछ ठीक रहा तो अगले छह माह में भाजपा अपनी इस नई विसात पर सफल होती दिखाई देगी।

सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी भाजपा की अपनी विधानसभा में हुई शर्मनाक किरकिरी से उभर नहीं पा रहे हैं। उन्होंने अपनी विधानसभा में राजनीति में दिनों दिन मजबूत हो रहे मनोज अग्रवाल को अंदरखाने पटखनी देने का नया नुस्खा तैयार किया है। हालांकि विधायक एक बार पूर्व में भी नगर निगम के मुद्दे को लेकर जोर आजमाइश कर चुके हैं, तब उनकी सरकार में सुनी नहीं गई थी। दोबारा बनी भाजपा सरकार में इस दागियों से जूझ रहे सदर विधायक अपनी छवि को अच्छा बनाने में कामयाब रहे। राज्य में उनकी सरकार व सत्ता है। वह निकाय चुनाव में भाजपा को जिताने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगाए रहे। वो बात अलग है कि पुलिस और प्रशासन में उनकी सुनी न जाने के कारण उनके ही वोट बैंक ने भाजपा का साथ नहीं दिया और पार्टी जीतते-जीतते हार के गाल में समा गयी और भारतीय जनता पार्टी के तमाम दिग्गजों की जोर आजमाइश के बाद भी भाजपा तीसरे नंबर पर रही। जब कि समाजवादी पार्टी की उम्मीदरवार और मेजर के राजनैतिक धुरविरोधी पूर्व विधायक विजय सिंह की पुत्रवधू जीत के करीब पहुँचकर चंद वोटों से हार गयीं। जो बात सेनापत को किसी भी तरह हजम नहीं हो पा रही।

बीते निकाय चुनाव में सदर विधायक का वह मुख्य वोट बैंक एक बार फिर पूर्व विधायक विजय सिंह के साथ चला गया जो द्विवेदी परिवार को नागवार गुजरा। नगर की राजनीति एक बार फिर नाला मछरट्टा और चौक के इर्द गिर्द पहुँच गयी और लगातार दूसरी बार विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी अलग थलग दिखने लगे तो फिर उन्होंने पूरी ताकत के साथ फर्रुखाबाद नगर पालिका को नगर निगम बनाने के अपने पुराने संकल्प को याद किया और उतनी ही ताकत से इस मुहिम में जुट गए, जितना भाजपा को जिताने के लिए निकाय चुनाव में जुटे थे।

बता दें कि फर्रुखाबाद नगर पालिका के गठन के बाद से अब तक अपना इतिहास है कि भाजपा का कोई भी प्रत्याशी पालिका की कुर्सी पर आसीन नहीं हो सका। भाजपा के कद्दावर नेता रहे स्व0 ब्रह्मदत्त द्विवेदी जैसे दिग्गज भी पूरी ताकत झोंकने के बाद भी डॉ० अर्चना गुप्ता को चुनाव नहीं जिता पाए थे। उस दौरान भी पूर्व विधायक विजय सिंह की पत्नी दमयंती सिंह पालिका अध्यक्ष बनी थी। इसके बाद राज्य महिला आयोग की सदस्य डॉ० मिथिलेश अग्रवाल और उससे पूर्व मदर टेरेसा बताने वाली डॉ० रजनी सरीन भी निकाय चुनाव की जमीन पर औंधे मुँह गिर चुकी हैं। उसके बाद हाल ही में भाजपा जिलाध्यक्ष रूपेश गुप्ता भाजपा के ही जिम्मेदारों की बदौलत अपनी माँ श्रीमती सुषमा गुप्ता को चुनाव नहीं जिता सके।

आने वाले दौर में भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर अपने खोए जनाधार को वापस लाने की जुगत में है। खासकर सदर विधायक मेजर द्विवेदी बदले राजनैतिक समीकरणों से खासे परेशान है। जिसके बाद पार्टी ने नगर पालिका में बसपा को लगातार बढ़ते वर्चस्व को नगर निगम की गोट से मात देने की तैयारी की है। अब देखना है कि मनोज अग्रवाल के राजनैतिक कद को भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी घटा पाएगी या नही?

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