अब भी जलभराव की त्रासदी से जूझ रहा है नगर, श्यामनगर लॉरेंस गली के वाशिंदो में आक्रोश, ब्रिक तो बिछी लेकिन नहीं हो सका नाली का निकास, नाकाम नगर पालिका

यूथ इण्डिया संवाददाता, फर्रुखाबाद। समस्या नई नहीं बरसों पुरानी है, समस्या एक गली की नहीं सारे शहर की है। लगातार 15 वर्षों से पालिका की कुर्सी पर काबिज चेयरमैन वत्सला व पूर्व चेयरमैन मनोज अग्रवाल नगर के जलभराव की समस्या का हल नहीं ढूँढ पाए। विकास कार्यों का सही दावा रखने वाले ये जिम्मेदारी दंम्पत्ति शहर की तमाम समस्याओं का हल देने में कामयाब हुए लेकिन जलभराव की समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है। एक बार फिर चुनाव जीतने के बाद वत्सला अग्रवाल चेयरमैन पद की शपथ लेंगी। लेकिन इस बार फिर जलभराव की इस समस्या का निदान हो पायेगा या नहीं यह सवालों के घेरे में बना हुआ है।

बरसात के मौसम में सारे शहर में जलभराव सिर पर चढ़कर बोलता है। यहाँ तक कि अधिकांश मोहल्लों में बरसात का पानी घरों तक में घुस जाता है, लेकिन समस्या का हल नहीं ढूँढा जा सका। एक बार फिर जनता ने चेयरमैन को मौका दिया है। शायद इस बार वे गंदे पाने के निकास की व्यवस्था कर सके और शहर जलभराव की त्रासदी से मुक्त हो सके ऐसी आशा है। उदाहरण के लिए नगर के वार्ड श्याम नगर को ही ले लें तो विद्या मंदिर के उत्तरी भाग में पड़ी जमीनों पर प्लाटिंग तो हो गयी लेकिन यहाँ नाली के आभाव और जहाँ पर नालियां हैं उनके निकास के अभाव में पानी का जरा सा दबाव बढ़ते ही गंदा पानी सड़कों पर आ जाता है। ऐसे में नागरिक नाली के किनारे जोडी गई ईंटो पर से आवागमन करने को मजबूर हो रहे हैं।

सभी की जुबान पर एक ही सवाल है कि 27 मई को शपथ ग्रहण करने के बाद चेयरमैन क्या इस समस्या की ओर ध्यान देंगी। हालांकि इस समस्या को लेकर मुख्यमंत्री के पोर्टल पर भी क्षेत्रीय नागरिकों द्वारा शिकायत की जा चुकी है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। कई बार चेरयमैन के घर पर जाकर तो कई बार जिला प्रशासन और अनेकों बार नगर पालिका ईओ को नागरिकों द्वारा इस समस्या से अवगत कराया गया। हालांकि क्षेत्रीय सभासद इस मामले में कोई रूचि नहीं दिखा रहे हैं जबकि इस तरफ के सम्पर्क मार्ग के किनारे उनकी भी जमीन है। इसी तरह के कई उदाहरण ढूँढने से मिल जायेंगे। तलैया फजल इमाम जैसे तमाम मोहल्ले हैं जो जरा सी बरसात में पानी का दबाव बढ़ते ही तालाब में तब्दील हो जाते हैं। इस शपथ ग्रहण के बाद क्या इस समस्या का हल हो सकेगा? यही सवाल क्षेत्र के हर एक वाशिंदे के दिमाग में गूंज रहा है।

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