मैनपुरी, यूथ इंडिया। डगर चाहें कितनी भी कठिन हो अगर मन में दृढ संकल्प है तो मंज़िल तक पहुंचना तय हो जाता है। मनुष्य अपनी मज़बूत इच्छाशक्ति के बलबूते कोई भी मुकाम हांसिल कर सकता है। यूपीएससी के परिणाम घोषित होते ही मैनपुरी में कुछ ऐसा ही देखने को मिला।

जनपद मैनपुरी निवासी राजेश तिवारी खुशी से फूले नहीं समाए जब उन्हें पता चला कि उनका दिव्यांग पुत्र देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी में टॉप (971वीं रैंक) कर आईएएस बना है। ये खबर पूरे गाँव व शहर में आग की तरह फ़ैल गई और चहुओर बधाइयों का तांता लगना शुरू हो गया। गाँव वालों ने पूरे नगर में मिठाइयां वितरित कर अपनी खुशी व्यक्त की। घर परिवार में भी सभी अत्यंत प्रसन्न दिखाई दिए। सूरज ने ये उपलब्धि मात्र 26 की उम्र में हांसिल की है व उनकी जन्मतिथि 17 नवंबर 1996 है।

रेल दुर्घटना में गवा बैठे थे दोनों पैर व हाँथ
सूरज तिवारी की प्रारंभिक शिक्षा मैनपुरी के ही विभिन्न शिक्षण संस्थानों से सम्पूर्ण हुई। इसके बाद बीएससी के दौरान 24 जनवरी 2017 को दादरी गाजियाबाद में हुई एक रेल दुर्घटना में दोनों पैर, कोहनी से दाया हांथ व बाएं हांथ की दो उंगलियां गवा बैठे थे। इलाज़ के दौरान आर्थिक स्थिति डगमगा गई। इसके वाबजूद सूरज ने हार ना मानते हुए आगे पढाई करने का फैसला लिया। लगातार अध्यनन करते हुए 2021 में उन्होंने जेएनयू से बीए किया व एमए के दौरान कड़ी मेहनत से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की। पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भी उन्होंने हार नहीं मानी।
2017 से पहले की तस्वीर (सूरज तिवारी)
सिलाई का काम करते हैं सूरज के पिता
सूरज तिवारी के पिता पेशे से टेलर हैं व उसी से वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। बेहद तंगी के वाबजूद उन्होंने अपने बेटे की शिक्षा में व्यवधान नहीं आने दिया, जिसके फलस्वरूप आज उनके सुपुत्र ने देश की कठिनतम परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। सूरज के चार भाई बहन हैं जिसमे बड़े भाई राहुल तिवारी की मृत्यु हो गई।

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