अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल के रूप में किया जा रहा प्रयोग, सफेद हाथी बनी शानदार इमारत

फर्रुखाबाद। बात अगर जनपद फर्रुखाबाद के इतिहास के बारे में की जाए तो इसका इतिहास कोई आज का नहीं हजारों वर्ष पुराना है लेकिन उसको सजा के रखने के लिए हम लोग आज भी एक राजकीय संग्रहालय को तरस रहे हैं। जिले की तहजीब सामाजिक सांस्कृतिक विरासत और अमूल्य धरोहरों को नई पीढ़ी के सामने लाने का ख्वाब कई वर्षों से पूरा नहीं हो सका है। वर्ष 2011 में निर्मित राजकीय संग्रहालय का भवन अभी तक फर्रुखाबाद की पहचान बनने को तरस रहा हैं।

हथियापुर में एक करोड़ रुपये की लागत से राजकीय संग्रहालय का भवन 2011 में बनकर तैयार हुआ। संग्रहालय के संचालन को प्रदेश सरकार से पद सृजित न हो पाने से ऐतिहासिक वस्तुओं के संग्रहालय में हस्तांतरण की कार्रवाई परवान नहीं चढ़ सकी है। संग्रहालय के अंदर ऐतिहासिक धरोहर के स्थान पर लकड़ियां, भूसा और पतेल के गोदाम बने हुए हैं। दर्शकों की जगह आवारा जानवर घूम रहे हैं। देखरेख के अभाव में भवन भी क्षतिग्रस्त होने लगा है।

संग्रहालय भवन में कुछ दिन तक कस्तूरबा विद्यालय भी संचालित हुआ। लकड़ियों से चूल्हे पर खाना बनने के कारण धुएं से दीवारें काली पड़ गई। गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर यूथ इंडिया की टीम जब संग्रहालय का जायजा लेने पहुंची तो वहां भूसे और पतेल के ढेर लगे हुए थे। संग्रहालय की खिड़की और दरवाजों के अधिकांश शीशे टूटे हुए थे। लोगों ने बताया कि संग्रहालय में एक चौकीदार तैनात किया गया है। लेकिन वह कभी दिखाई नहीं दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here